शेरशाह सूरी ((Shersah Suri)) भारतीय इतिहास (Indian History) के एक महत्वपूर्ण और प्रभावशाली शासक थे, जिन्होंने 1540 से 1545 तक भारत पर शासन किया। उनकी शासनकाल की नीतियों और सुधारों ने भारतीय प्रशासनिक और सैन्य प्रणाली पर गहरा प्रभाव डाला। यहाँ शेरशाह सूरी (Shersah Suri) के जीवन और उनके शासनकाल का विस्तार से विवरण दिया गया है:-
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: शेरशाह सूरी (Shersah Suri) का जन्म 1486 में साहसाराम (वर्तमान बिहार, भारत) में हुआ था। उनका असली नाम फरिद खान था।
- परिवार और शिक्षा: शेरशाह (Shersah Suri) के पिता का नाम हसन खान था, जो एक स्थानीय सरदार थे। शेरशाह (Shersah Suri) ने अपने प्रारंभिक जीवन में प्रशासनिक और सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया और इस दौरान उन्होंने अपने पिता के साथ विभिन्न क्षेत्रों में काम किया।
प्रारंभिक करियर
सैन्य और प्रशासनिक कार्य: शेरशाह (Shersah Suri) ने अपनी सैन्य क्षमता और प्रशासनिक कौशल के लिए ख्याति प्राप्त की। उन्होंने लोदी सुलतान की सेवा की और जल्दी ही एक प्रभावशाली अधिकारी के रूप में उभरे।
विजय और साम्राज्य की स्थापना
- मुग़ल साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष: शेरशाह (Shersah Suri) ने 1540 में हुमायूँ (मुग़ल सम्राट) को हराया और दिल्ली पर कब्जा कर लिया। हुमायूँ को भारत से बाहर जाना पड़ा और शेरशाह ने सूरी साम्राज्य की स्थापना की।
- साम्राज्य का विस्तार: शेरशाह (Shersah Suri) ने अपने शासनकाल में भारतीय उपमहाद्वीप के कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित किया, जिसमें उत्तर भारत, बिहार और बंगाल शामिल थे।
प्रशासनिक सुधार
- भूमि राजस्व प्रणाली: शेरशाह (Shersah Suri) ने भूमि राजस्व प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार किए। उन्होंने भूमि की पैमाइश की और जमीन के आधार पर कर प्रणाली को लागू किया, जिसे दाहशाला प्रणाली कहा जाता है। यह प्रणाली किसानों की उपज के आधार पर कर निर्धारित करती थी।
- सड़क और संचार: शेरशाह (Shersah Suri) ने ग्रैंड ट्रंक रोड (जीटी रोड) का निर्माण कराया, जो एक प्रमुख मार्ग था और व्यापार और संचार के लिए महत्वपूर्ण था। उन्होंने सड़कों के किनारे साराय (अथवा विश्रामगृह) बनवाए, जिससे यात्री और व्यापारी आराम से यात्रा कर सकें।
- न्याय व्यवस्था: शेरशाह (Shersah Suri) ने न्याय व्यवस्था को सुधारने के लिए दिवान-ए-आलम की नियुक्ति की और सबीली (स्थानीय न्यायाधीश) नियुक्त किए, जो न्यायिक मामलों की देखरेख करते थे।
- सिक्कों का सुधार: उन्होंने सिक्कों की प्रणाली को सुधारने के लिए रूपया और ताका नामक नए सिक्के जारी किए। ये सिक्के सुव्यवस्थित और मानक मूल्य के थे, जो व्यापार और लेन-देन में मददगार साबित हुए।
सैन्य सुधार
- सैन्य संगठन: शेरशाह (Shersah Suri) ने अपने सैन्य संगठन को सुधारने के लिए सिपाही, मंडल और जमानात प्रणाली को लागू किया। उन्होंने सैनिकों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया और उनकी संख्या और ताकत को सुव्यवस्थित किया।
- अभियांत्रिक उपकरण: उन्होंने अपने सैन्य अभियानों में तोपख़ाना और अन्य आधुनिक हथियारों का उपयोग किया, जो उनके सैन्य विजय में सहायक सिद्ध हुए।
सांस्कृतिक और सामाजिक सुधार
- धार्मिक सहिष्णुता: शेरशाह सूरी (Shersah Suri) ने धार्मिक सहिष्णुता की नीति अपनाई और विभिन्न धर्मों के प्रति उदार दृष्टिकोण बनाए रखा। उन्होंने सभी धर्मों के लोगों के लिए समान अवसर प्रदान किए।
- सार्वजनिक भलाई: उन्होंने सार्वजनिक भलाई के लिए कई योजनाओं की शुरुआत की, जिसमें जल संसाधन प्रबंधन, कृषि सुधार, और शिक्षा को बढ़ावा देना शामिल था।
अंतकाल
मृत्यु: शेरशाह सूरी (Shersah Suri) की मृत्यु 22 मई 1545 को कनौज में एक युद्ध के दौरान हुई। उनकी मृत्यु के बाद उनके साम्राज्य में अस्थिरता और संघर्ष शुरू हो गए, और अंततः मुग़ल सम्राट हुमायूँ ने पुनः भारत पर कब्जा कर लिया।
शेरशाह सूरी का महत्व
- प्रशासनिक सुधार: शेरशाह सूरी (Shersah Suri) के द्वारा किए गए प्रशासनिक सुधार भारतीय इतिहास (Indian History) में महत्वपूर्ण माने जाते हैं। उनकी भूमि राजस्व प्रणाली, सड़क निर्माण, और न्याय व्यवस्था ने प्रशासन को सुदृढ़ किया।
- सैन्य और अर्थव्यवस्था: उनकी सैन्य व्यवस्था और सिक्का प्रणाली ने व्यापार और सैन्य अभियानों में सुधार किया, जिससे उनके साम्राज्य की ताकत बढ़ी।
शेरशाह सूरी (Shersah Suri) का शासनकाल भारतीय इतिहास (Indian History) में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। उनके द्वारा किए गए सुधार और नीतियाँ भारतीय प्रशासन और समाज पर एक दीर्घकालिक प्रभाव छोड़ गईं।